दिसम्बर 6, 2011
आंख आंख बिखरे मयखाने हैं
लहरों में घुले कितने फ़साने हैं,
साहिलों से हमारे रिश्ते पुराने हैं|
हर लहर को खामोश ही पीते रहे,
हम दीवाने थे, अब भी दीवाने हैं|
अब पीने क्यों जायें बता ‘वीर’,
आंख आंख बिखरे मयखाने हैं|