दिसम्बर 24, 2009
आपने फ़र्ज़ निभाया है
आपने फ़र्ज़ निभाया है,
हम पर क़र्ज़ चढ़ाया है|
कभी थोडा कर भी लेते,
क्यों सिर्फ प्यार जताया है|
हम पर क़र्ज़ चढ़ाया है…
बार बार जताकर अहसानों को,
आपने हमारा सर झुकाया है|
हम पर क़र्ज़ चढ़ाया है…
हारेगा तू ही इस रंजिश में ‘वीर’,
किसने लकीरों को मिटाया है|
हम पर क़र्ज़ चढ़ाया है…