दिसम्बर 4, 2011
बहुत देर से
तुम ना देखो तो मैं आँखें पोछ लूं,
बहुत देर से कुछ चुभ रहा है|
मंद होती है उम्मीद हर सांस से,
बहुत देर से कुछ बुझ रहा है|
तुम ना देखो तो मैं आँखें पोछ लूं,
बहुत देर से कुछ चुभ रहा है|
मंद होती है उम्मीद हर सांस से,
बहुत देर से कुछ बुझ रहा है|