दिसम्बर 12, 2009
बातों ही बातों में
बातों ही बातों में, कट गयी ज़िन्दगी मेरी,
कितने रिश्तों में, बट गयी ज़िन्दगी मेरी|
अपनी सुध थी ना ज़माने की खबर,
इश्क के बाज़ार में, लुट गयी ज़िन्दगी मेरी|
बातों ही बातों में, कट गयी ज़िन्दगी मेरी…
कुछ वक़्त का तकाज़ा था, कुछ हालात की मजबूरी थी,
हर रोज़ बदल गयी, ये शक्सियत मेरी|
बातों ही बातों में, कट गयी ज़िन्दगी मेरी…
तुझे अपना कहूं तो किस हक से ‘वीर’,
तेरी साँसों ने छीन ली ज़िन्दगी मेरी|
बातों ही बातों में, कट गयी ज़िन्दगी मेरी…