बिछड़ा यार नहीं मिलता
खुदा भी शायद नाराज़ है हमसे,
मिन्नतों से बिछड़ा यार नहीं मिलता|
इसमें कहाँ पहले सी बात रही,
अब शराबों से खुमार नहीं मिलता|
मिन्नतों से बिछड़ा यार नहीं मिलता…
मिलते हैं रिश्ते विरासत में यहाँ,
हर रिश्ते में लेकिन प्यार नहीं मिलता|
मिन्नतों से बिछड़ा यार नहीं मिलता…
मिलती नहीं है मौत से मोहलत कोई,
फिर कोई शख्स क्यों तैयार नहीं मिलता|
मिन्नतों से बिछड़ा यार नहीं मिलता…
कुछ गुलों की किस्मत मुझ जैसी है,
ज़मीन तो मिली मगर गुलज़ार नहीं मिलता|
मिन्नतों से बिछड़ा यार नहीं मिलता…
बहा देना सब गर मिले कोई दामन काबिल,
अश्कों को ये मौका बार बार नहीं मिलता|
मिन्नतों से बिछड़ा यार नहीं मिलता…
क्या शिकायत किजीये किसी से ‘वीर’,
हम आवारों को कहीं दयार नहीं मिलता|
मिन्नतों से बिछड़ा यार नहीं मिलता…
अब लाया है मर्ज़ ए इश्क का इलाज़ ‘वीर’,
जब शहर में उसे कोई बीमार नहीं मिलता|
मिन्नतों से बिछड़ा यार नहीं मिलता…