दुआ में असर रहे
कभी तो दुआ में असर रहे,
कभी तो उसकी हम पर नज़र रहे|
मैं तोड़ दूंगा सारी बंदिशें सनम,
तुझमें साथ चलने का जिगर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
बेखुदी उलझा ले चाहे जितना,
तुम्हे जिंदिगी की तो कदर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
पत्थर पर्वत नदी हो या तूफ़ान,
बस चलते जाने का हुनर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
आवारगी जब भी करे गुमराह,
घर तक जाती कोई डगर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
प्यार भी होता मौत सा अगर,
हर वक्त बस मुयास्सर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
उन्ही लहरों से डूबे तुम ‘वीर’,
जिनसे खेलते तुम अक्सर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
ना सुध है ज़माने की ना सही,
खुदको खुदकी तो खबर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
पथरीले रास्तों से क्या डरना,
बात कुछ और गर हमसफ़र रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
सब हासिल कितना बेरंग होगा,
कुछ तो जिंदिगी में कसर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
गर ना रहे मेहकता प्यार से,
घर में सुकून की तो बसर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
यही मुनासिब है आदमी के लिए,
अपनी राह पर सर बसर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…
जो नहीं तेरे दिल में आशियाँ,
बता दे अब ‘वीर’ किधर रहे|
कभी तो दुआ में असर रहे…