दिसम्बर 6, 2011
हमारे कस्बों की बात ही निराली है
चमकते शहर की सीरत ही काली है,
हमारे कस्बों की बात ही निराली है|
दीवाने से हम उलझ गए रौशनी से,
परवानों से हमने जिंदगी हारी है|
हमारे कस्बों की बात ही निराली है…
उन दीयों की लौ का नूर है आँखों में,
हमारे घरों में आज दिवाली है|
हमारे कस्बों की बात ही निराली है…