दिसम्बर 2, 2011
जला हुआ सा
कुछ अन्दर दबा हुआ सा,
कुछ हलक में फंसा हुआ सा|
सिर्फ धुआँ है आँखों के आगे,
खामोश दिल है बुझा हुआ सा|
इतनी काली है ज़हन की दीवारें,
ना जाने क्या कुछ जला हुआ सा|
कुछ अन्दर दबा हुआ सा,
कुछ हलक में फंसा हुआ सा|
सिर्फ धुआँ है आँखों के आगे,
खामोश दिल है बुझा हुआ सा|
इतनी काली है ज़हन की दीवारें,
ना जाने क्या कुछ जला हुआ सा|