अप्रैल 6, 2010
कच्ची नींद का ख्वाब
कच्ची नींद का ख्वाब हसीन होता है,
थोडा नमकीन थोडा रंगीन होता है|
मचलता है मुमकिन की दीवारों से भिड कर,
कभी सांसों सा ज़मीन होता है|
कच्ची नींद का ख्वाब हसीन होता है…
लबों पर मुस्कुराहट बन नाचता है दिन भर,
शाम ढले थोडा ग़मगीन होता है|
कच्ची नींद का ख्वाब हसीन होता है…
वरना तो कल भी आज जैसा ही होगा ‘वीर’,
इन ख्वाबों से ही जिंदिगी पे यकीं होता है|
कच्ची नींद का ख्वाब हसीन होता है…