अप्रैल 18, 2010
कहीं खो जाऊँगा
पल में अक्स सा ओझल हो जाऊँगा,
अनजाने ख्वाब सा कहीं खो जाऊँगा|
खलिश भी ना होगी जुदाई की कोई,
तुम्हारे ज़हन में ऐसा बस जाऊँगा|
अनजाने ख्वाब सा कहीं खो जाऊँगा…
हाथों की लकीरों को जब देखोगे कभी,
इनमे कहीं तुम्हे मैं नज़र आऊँगा|
अनजाने ख्वाब सा कहीं खो जाऊँगा…
जब कभी सुनोगे हवाओं की सदा,
खुशबू बनके तुम में सिमट जाऊँगा|
अनजाने ख्वाब सा कहीं खो जाऊँगा…
गम के छलकेंगे अगर कभी अश्क,
तब ख्यालों में तुमसे लिपट जाऊँगा|
अनजाने ख्वाब सा कहीं खो जाऊँगा…
ये भी मेरा सच है मेरे हमनफस,
तुमसे मैं जल्द ही बिछड़ जाऊँगा|
अनजाने ख्वाब सा कहीं खो जाऊँगा…