06 दिसंबर 2011
खुदसे बेईमान माना
तुम्हारी हर ख्वाहिश को अपना ईमान माना,
हमने कई बार खुदको खुदसे बेईमान माना|
हम इन दीवारों में एक घर ढूंढते रहे,
तुमने जिस पिंजरे को अपना मकान माना|
हमने कई बार खुदको खुदसे बेईमान माना…
मैं तबाह हुआ तो सफीनो ने सांस ली,
इस जुस्तजू से अच्छा मौत का फरमान माना|
हमने कई बार खुदको खुदसे बेईमान माना…
तुम ना ला सके एक मुस्कराहट भी खरीद कर,
तुमने नाहक ही पैसों को खुशियों की दूकान माना|
बस एक चूक हो गयी उनमान की मोहब्बत में,
इसे मंजिल समझे जब जिंदगी ने इसे मकाम माना|
तुम ही मेरी जिंदगी की इब्तिदा हो और इन्तहा भी,
तुम ही को हमने अपनी ज़मीन अपना आसमान माना|
ये अच्छा है के तुम लिखते हो ‘वीर’,
कई दिलजलों ने तुम्हें अपने दिल की जुबान माना|