दिसम्बर 2, 2011
मैं जिधर गया
बहुत खूबसूरत था जो गुज़र गया,
बस मलाल है के क्यों गुज़र गया|
वो मैं ही था और वो तुम ही थे,
जो दरमियान था जाने किधर गया|
मुझसे साए सी जुडी है वो तसवीरें,
नज़र आती रहीं मैं जिधर गया|
इस ख्वाब की फितरत अजब थी ‘वीर’,
जो तामीर हुआ तो बिखर गया|