दिसम्बर 27, 2012
मेरी इस ज़िद ने
मेरी इस ज़िद ने कितने रिश्ते मिटा दिए,
अहम की आग ने कई साथ जला दिए|
कहीं मेरी तलाश गुमराह न कर दे उसे,
मैंने ये सोच कर अपने अरमान बुझा दिए|
मेरी इस ज़िद ने कितने रिश्ते मिटा दिए…
वो जब चाहे लौट कर आ सके मुझ तक,
मैंने उसकी हर मंजिल पर रास्ते बिछा दिए|
मेरी इस ज़िद ने कितने रिश्ते मिटा दिए…
उम्र भर वास्ता रहा जज़्बाती लोगों से ‘वीर’,
इस दीवानेपन ने उनके भी होश उड़ा दिए|
मेरी इस ज़िद ने कितने रिश्ते मिटा दिए…