मार्च 26, 2010
मुझे और खोकला कर गए ना तुम
मेरे ख्यालों से भर गए ना तुम,
मुझे और खोकला कर गए ना तुम|
इतना सहम गए शीशे से क्यों,
अपने अक्स से ही डर गए ना तुम|
मुझे और खोकला कर गए ना तुम…
मुझे दे कर जिंदिगी सज़ा में,
खुद लम्हा लम्हा मर गए ना तुम|
मुझे और खोकला कर गए ना तुम…
मैं अब भी खड़ा हूँ उसी जगह,
आखिर अकेला छोड़ बढ़ गए ना तुम|
मुझे और खोकला कर गए ना तुम…
तेरी फितरत नहीं है गिरेबान पकड़ने की,
फिर क्यों आज हर किसी से लड़ गए ना तुम|
मुझे और खोकला कर गए ना तुम…
मैं गुजरता रहा बेखुदी की राहों पर,
मेरे ज़हन के हर मोड पर पड़ गए ना तुम|
मुझे और खोकला कर गए ना तुम…
मुझे जिसका डर था हुआ ना फिर वही,
कहा था मैंने तुमसे पर गए ना तुम|
मुझे और खोकला कर गए ना तुम…
कहा था ना रख कोई दर्द दिल में ‘वीर’,
देख इनके बोझ से गढ़ गए ना तुम|
मुझे और खोकला कर गए ना तुम…