मार्च 30, 2010
ना जी पाओगे
ख्यालों से मुझे ना समझ पाओगे,
लफ़्ज़ों से मुझे ना पकड़ पाओगे|
मेरे दर्द का एहसास तो होगा तुम्हे,
मेरी नम आँखों का ना देख पाओगे|
मुझे कतरा कतरा बाँट तो लोगे तुम,
इन कतरों से मुझे ना जोड़ पाओगे|
सुन भी लोगे सदा अगर चाहो तो,
मगर मेरी आह को ना सुन पाओगे|
मशवरा है कि ना आओ मेरे करीब,
इस गहराई में तुम भी डूब जाओगे|
मैं तन्हा ही रहूँगा ये हकीकत है,
तन्हाई मुझसे जुदा ना कर पाओगे|
तोड़ तो लोगे तुम मेरे शीशमहल को,
इसकी तस्वीर मुझसे ना छीन पाओगे|
आना भी चाहोगे अगर कभी अगर,
रास्तों को मुझ तक ना मोड़ पाओगे|
हो भी जाए अगर ज़हर पीना तुम्हे गवारा,
इसे पी कर मुझसे ना जी पाओगे|