अप्रैल 1, 2010 वीरांशग़ज़लरुखा सा लम्हा रुखा सा लम्हा By वीर ग़ज़ल 1 Comment रुखा सा लम्हा ले कर उसे, हम नम बना लिया करते हैं| तेरे बिना वक्त की सदियाँ, हम यूँ गुज़ार लिया करते हैं| याद जब खलिश सी लगती है, नाम तेरा पुकार लिया करते हैं| Share this:Click to share on Twitter (Opens in new window)Click to share on Facebook (Opens in new window) 0.00 avg. rating (0% score) - 0 votes Like this:Like Loading... Related Tags:जुदाई Related Posts क्या बतायें के हाल कैसा है आईने से पछतायेगा About Author वीर