नवम्बर 10, 2010
तो बेहतर होता
मुंह हमसे मोड़ लेते तो बेहतर होता,
ये दिल तोड़ ही देते तो बेहतर होता|
बेगानी सी लगती है अब तन्हाई भी,
वक़्त रहते हमें छोड देते तो बेहतर होता|
ये दिल तोड़ ही देते तो बेहतर होता…
खबर थी हमें मंजिलों की साज़िश की,
रास्तों को हम मोड़ देते तो बेहतर होता|
ये दिल तोड़ ही देते तो बेहतर होता…
शीशे सा दिल कभी तो टूटना ही था,
अपने हाथों से ही फोड़ देते तो बेहतर होता|
ये दिल तोड़ ही देते तो बेहतर होता…
नशा मोहब्बत का बहूत देर में उतरा ‘वीर’,
मय से ही रिश्ता जोड़ लेते तो बेहतर होता|
ये दिल तोड़ ही देते तो बेहतर होता…