दिसम्बर 2, 2011
तुझ में साथ चलने का
मैं तोड़ दूँगा सारी बंदिशें,
तुझ में साथ चलने का जिगर रहे|
आवारगी कितना भी करे गुमराह,
मगर घर तक जाती कोई डगर रहे|
सब हासिल कितना बेरंग होगा,
जिंदगी में कुछ तो कसर रहे|
तनहा रास्तों से कोई डर तो नहीं,
बात कुछ और गर कोई हमसफ़र रहे|