मार्च 1, 2013
वक्त से पहले
वक्त से पहले ही मिल गयी मंजिल मुझे,
और फिर न हुआ ताउम्र कुछ हासिल मुझे |
मैं पूरा समंदर पी गया था लड़कपन में,
फिर कभी दोस्त सा न मिला साहिल मुझे |
और फिर न हुआ ताउम्र कुछ हासिल मुझे…
और कोई नहीं बस एक ही खता हुई तुझसे,
क्यों दे दिया तुने इतना नाज़ुक दिल मुझे |
और फिर न हुआ ताउम्र कुछ हासिल मुझे…
मैंने देखे हैं कई रंग वफ़ा के ‘वीर’ मगर,
कोई न मिला मोहब्बत के काबिल मुझे |