07 नवंबर 2010
यादों में अब भी वो शहर बसा है
उससे बिछड़ने का मुझे गिला है,
यादों में अब भी वो शहर बसा है|
उस गली के किस्से अबतक महकते हैं,
मेरा कुछ अब भी उस गली में पड़ा है|
यादों में अब भी वो शहर बसा है…
लौट के जाना मुमकिन हो भी सही,
लेकिन मेरा कौन अब वहां बचा है|
यादों में अब भी वो शहर बसा है…
नुक्कड़ की वो दूकान अभी वहीँ है,
कोई हाँथ में सिक्का लिए वहीँ खड़ा है|
यादों में अब भी वो शहर बसा है…
जन्नत पा लूँगा इस शहर से निकल कर,
जब निकला तो पाया कोई सजा है|
यादों में अब भी वो शहर बसा है…
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Chandrama
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Amit Goel