दिसम्बर 2, 2011
जिंदगी के नाम पर मुझे
मुझे दबा कर ख़ामोशी की सज़ा देते हो,
जिंदगी के नाम पर मुझे क़ज़ा देते हो|
मैं सर से पाँव तलक डूबा हूँ इश्क में,
मुझे किस मर्ज़ से गिला है, मुझे क्या दवा देते हो|
जिंदगी के नाम पर मुझे क़ज़ा देते हो…
हमें होश आएगा नहीं क़यामत के दिन भी ‘वीर’,
हमें जन्नत की आरजू नहीं, बेकार ही तुम दुआ देते हो|
जिंदगी के नाम पर मुझे क़ज़ा देते हो…