नवम्बर 30, 2011
जिंदगी से रूठ कर जाएंगे कहाँ
जिंदगी से रूठ कर जाएंगे कहाँ,
भूलना तो चाहेंगे मगर, भूल पाएंगे कहाँ|
बदलना चाहेंगे यहाँ बहूत कुछ मगर,
अपने सिवा किसी को बदल पाएंगे कहाँ|
जिंदगी से रूठ कर जाएंगे कहाँ…
वक़्त के साथ ज़ख्म तो भर जाएंगे ‘वीर’,
मगर दाग दिलों के मिट पाएंगे कहाँ|
जिंदगी से रूठ कर जाएंगे कहाँ…