नवम्बर 6, 2010
एक दिवाली तुम मना लेना
एक दिवाली तुम मना लेना,
एक दिवाली मैं मना लूँगा|
लौट कर ना ये रात आये,
लबों पर ना ये बात आये,
एक दामन तुम भीगा लेना,
एक दामन मैं जला लूँगा|
एक दिवाली तुम मना लेना,
एक दिवाली मैं मना लूँगा…
इस मातम का सबब नहीं है,
क्यों जिंदिगी का अदब नहीं है,
एक अश्क तुम बहा लेना,
एक अश्क मैं छुपा लूँगा|
एक दिवाली तुम मना लेना,
एक दिवाली मैं मना लूँगा…
ख़ामोशी है मुन्तजिर सदा की,
जिंदिगी है मुन्तजिर क़ज़ा की,
एक आवाज़ तुम भुला देना,
एक आवाज़ मैं दबा दूंगा|
एक दिवाली तुम मना लेना,
एक दिवाली मैं मना लूँगा,
एक रिश्ता तुम जला देना,
एक उम्मीद मैं बुझा दूंगा|