जनवरी 4, 2010
तुम्हें ज़माने की दुआ चाहिए
तुम और मैं, काफी नहीं है जिंदिगी के लिए,
तुम्हें ज़माने की दुआ चाहिए|
नादान मैं क्या समझ बैठा तेरे इश्क को,
तुम्हें इस रात की सहर चाहिए|
तुम और मैं, काफी नहीं है जिंदिगी के लिए,
तुम्हें ज़माने की दुआ चाहिए|
नादान मैं क्या समझ बैठा तेरे इश्क को,
तुम्हें इस रात की सहर चाहिए|